कादियां ( तारी )
पंजाब की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की मिटटी । इस गीत के उल्ट कादियां निवासी समर अहमद ने रेतीली मिटटी सोना उगलने मेरे देश की धरती बात पर मुहर लगा दी है। समीर साधारण किसान परिवार से संबंध रखते हैं ने दरिया ब्यास जिला श्रीहरगोबिन्दपुर के निकट रजोआ गांव में रेतली मिटटी में सबजीयां और गन्ने की खेती को अफरीकी तकनीक से काशत कर लाखों रूपये कमाने आरंभ कर दिये हैं ने बताया कि उन्होने यह तकनीक अफरीका से मंगवाई है। यहां की मिटटी में रेत अधिक मात्रा में है और धरती वर्षा पर आधारित है धरती को बंजर और खाली देख कर मुझे यहां खेती करने का जनून पैदा हुआ तो मैने अफरीकी खेती की तकनीक को यहां आजमाया तो मुझे कामयाबी मिल गई। हमने पहले यहां के खेतों को साफ कर समतल करवाया और हल चलाकर इसमें गोबर की खाद डाल दी फिर खेतों में फाईबर की पाईपों का एक जाल बिछा दिया और उन पाईपों में छोटे सुराख कर एक टयूबवैल की सहायता से इन पाईपों से पानी की सप्लाई खेतों में देना आरंभ कर दी । रेतली मिटटी में जितना पानी डालो वह धरती के नीचे चला जाता है जिसमेंं घांस भी कम उगती है इसलिये पाईयों से पानी की सप्लाई कम खर्च पर कारगर साबित हुई। हम ने इसमें मटर, गाजर, मूली, आलू, शलगम और गन्ने की काशत आरंभ कर दी है जो काफी लाभ दे रही है मिटटी नरम होने के कारण मूली तीन फुट तक की तैयार हो रही हैं जो खाने में बहुत सवादिष्ट है। इसी तरह व्यापारी 35 रूपये किलो मटर खरीद कर ले जाते हैं। जिस स्थान पर मिटटी का अनुपात बराबर है वहां गन्ने की काशत की जा रही है जो काफी लाभ दे रही है।
समर अहमद कहते हैं यदि फसल को समय समय पर पानी देने की निगानी की जाए तो यह फायदे का सौदा है मिटटी नरम होने के कारण पौधों को फलने फुलने में कम समय लगता हैं हम खादों का प्रयोग अभी नही कर रहे हैं इसलिये पैदा होने वाली चीजों में स्वाद अधिक मिल रहा है।
समर अहमद ने किसान भाईयों से कहा कि वह इस तकनीक से रेतली धरती पर अच्छी फसल कम दामों में तैयार कर लाखों कमा सकते हैं ।